95 साल पुरानी Parle G कंपनी ने बढ़ती महंगाई के बीच भी अपने प्रतिष्ठित 5 रुपये के बिस्किट पैकेट को कैसे बरकरार रखा है? क्यों पारले एग्रो और पारले एक्सपोर्ट्स को इस पारले ग्रुप से अलग है? और महज एक दर्जन लोगों के साथ शुरू हुई यह कंपनी FMCG में उद्योग की वैश्विक दिग्गज कंपनी कैसे बन गई? चलिए इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है जानते है।
Parle G का इतिहास | Story Of Parle G
लगभग 95 साल पहले चौहान परिवार ने अपनी बेकरी से एक कंपनी शुरू की थी जो मुंबई में विले पार्ले नाम की जगह पर थी। यह दिन-ब-दिन लोकप्रिय होती गई और लोग इस कंपनी को पारले के नाम से जानने लगे। इस प्रकार Parle Products की शुरुआत साल 1929 में हुई।
कंपनी के शुरुआती दिनों में वे केवल मिठाई, चॉकलेट जैसी कन्फेक्शनरी चीजें बनाते थे, लेकिन 10 साल बाद पारले प्रोडक्ट्स ने बिस्कुट बनाना शुरू कर दिया।
साल 1947 में भारत के आज़ाद होने के बाद इस कंपनी ने अन्य विदेशी बिस्किट कंपनियों के ख़िलाफ़ अपना विज्ञापन शुरू किया जिसमें कंपनी ने अपना नया Parle Gluco ब्रांड पेश किया। इस तरह पारले ग्लूको बिस्कुट अस्तित्व में आया।
कुछ ही समय में अन्य कंपनियों ने भी अपने ग्लूको बिस्कुट बेचना शुरू कर दिया। इसे देखते हुए कंपनी के निदेशकों ने साल 1980 में कंपनी का नाम Parle Gluco से बदलकर Parle G रख दिया। तो इस तरह दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली बिस्किट कंपनी पारले जी की शुरुआत हुई।
धीरे-धीरे बिस्किट इंडस्ट्री में पारले जी का नाम पूरे भारत में प्रसिद्ध होने लगा। कुछ वर्षों के बाद, पारले ने कई अन्य श्रेणियों में भी अपने बिस्कुट शुरू किए जैसे मोनाको जिसमें नमकीन बिस्कुट शामिल हैं, क्रैकजैक जिसमें नमकीन के साथ-साथ मीठे बिस्कुट भी शामिल हैं और जो लोग प्रीमियम बिस्कुट खाना चाहते हैं, उनके लिए पारले ने हाइडैंसिक बिस्कुट शुरू किया।
साल 1963 में इसने किसमी बार, पोपिन्स, मेलोडी जैसे कन्फेक्शनरी आइटम बनाना शुरू किया और इसी तरह साल दर साल कंपनी ने नए उत्पाद लॉन्च किए और आज इसी के दम पर यह भारत की एक बड़ी कंपनी बन गई है, जिसकी कुल संपत्ति आज 17,223 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
पारले जी गर्ल
पारले जी गर्ल को लेकर इंटरनेट पर कई कहानियां हैं और इस पर कई बार बहस भी हो चुकी है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिस लड़की की फोटो हर पारले जी पैकेट पर नजर आती है, वह अस्तित्व में मौजूद ही नहीं है, बल्कि इस लड़की की तस्वीर असल में 1950 से 1960 के बीच एक एवरेस्ट क्रिएटिव आर्टिस्ट ने बनाई थी, जिसका इस्तेमाल पारले ने किया था। उन्होंने इसका उपयोग अपने उत्पादों की पैकेजिंग पर करना शुरू कर दिया और आज तक कर रहे हैं।
Parle का बटवारा
कंपनी की शुरुआत में सिर्फ Parle Products थी जिसे मोहनलाल दयाल का परिवार चलाता था. लेकिन कुछ सालों बाद जयंतीलाल मोहनहाल चौहान के बेटे रमेश चौहान ने Parle Exports नाम से अपनी नई कंपनी शुरू की, जिसे आज हम Parle Bisleri के नाम से जानते हैं। कुछ साल बाद जयंतीलाल के दूसरे बेटे प्रकाश चौहान ने Parle Agro की शुरुआत की, जिसने भारत में फ्रूटी, बैलीज़ और एपी फ़िज़ जैसे कई उत्पाद लॉन्च किए, जो आज भी चल रहे हैं। अंततः Parle Group को मोहनलाल दयाल का परिवार चलता है।
Parle G 95 साल पुराना है फिर भी सिर्फ Rs.5 में कैसे बिखता है?
पारले जी, जिसका इतिहास बहुत पुराना है, साल 1994 से 2021 तक एक छोटे बिस्किट पैकेट की कीमत 4 रुपये थी, जिसे कंपनी ने 2021 में बढ़ाकर 5 रुपये कर दिया। लेकिन इतनी महंगाई के बावजूद इसकी कीमत कैसे हो सकती है 5 रुपये? ये सवाल हर किसी के मन में उठता है।
दरअसल, कंपनी ने अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें 125% तक बढ़ा दी हैं। क्योंकि साल 1994 में 100 ग्राम का छोटा पैकेट 4 रुपये में बिकता था और आज वही 50 ग्राम का पैकेट 5 रुपये में मिलता है. यानी अगर आप हिसाब लगाएं तो अगर आप 2024 में 100 ग्राम का पैकेट खरीदना चाहते हैं तो इसकी कीमत 9 रुपये होगी, इस हिसाब से कंपनी ने 30 साल में इसकी कीमत 125% बढ़ा दी है।
तो ऐसे ही एक कंपनी ने अपने छोटे पैकेट को बड़ा बनाया और नया छोटा पैकेट बेचना शुरू किया जो आज 5 रुपये में बिकता है।
Source: इस आर्टिकल में कई जगह से माहिती ली गई है पर मुख स्त्रोत विकिपीडिआ से लिया गया है।
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